केबङिया खोला हे मैया,तनी एने फेरा नजरिया,
केबङिया खोला हे मैया.....
गंगाजल स्नान करन को,भरी-भरी लैलूं गगरिया,
केबङिया......
सेनुर-टिकुली,बाली-लहठी,लैली लाली चुनरिया,
केबङिया.............
बेली-चमेली,उङहुल कलिया, तोड़ी-तोडी लैलूं डलिया
केबङिया..........
गङी-छुहाङा, दाखिल मुनक्का,भरी-भरी लैलूं थरिया
केबङिया..........
धूप-दीप-कर्पूर जलाऊं,सभे मिली सांझ के बेरिया,
केबङिया,..............
मैया अइहा हमर दुअरिया,अपराध से बाढ़ूं डगरिया,
केबङिया...............
मैया अपन भक्त समझ के,मन से दिया आशीषिया
केबङिया.............
सुजाता प्रिय 'समृद्धि'
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" पर रविवार 31 अगस्त 2025 को लिंक की गई है....
ReplyDeletehttp://halchalwith5links.blogspot.in पर आप सादर आमंत्रित हैं, ज़रूर आइएगा... धन्यवाद!
!
सुन्दर 🙏
ReplyDeleteमैया अपन भक्त समझ के,मन से दिया आशीषिया
ReplyDeleteकेबङिया.............
जय माता दी 🌹🌹🚩
बहुत ही बढ़िया जय माता दी
ReplyDeleteSundar !
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