मैं
तुम्हें
कभी भी
बुलंदियों पर
चढ़ने से रोक
तो नहीं
पाता
हूंँ।
किन्तु
मुझे सदा
यह भय लगा
रहता है कि कहीं
ऊँची उड़ान भरने
हेतु तुम्हारे पर न
निकल जाए
और तुम
मुझे
छोड़कर
मुझसे दूर और
बहुत दूर न उड़ जाओ।
सुजाता प्रिय 'समृद्धि'
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