समय (कविता)
कभी न रुकता,हरदम चलता, चलना इसका काम रे।
पल-पल बढ़ता कभी ना थकता समय बड़ा बलवान रे।
पल-पल बढ़ता.......
समय का घोड़ा दौड़ा करता हवा से करता बात रे।
सुख और दुख के दिन हो चाहे, सर्दी गर्मी बरसात रे।
समय सुबह बनकर है आता,आता बनकर शाम रे।
पल-पल बढ़ता.......
समय साथी है जीवन भर का,जो इसके संग चलता है।
उसके जीवन की बगिया में,मीठा फल हरदम पलता है।
इसकी गति से गति मिला लो,मत कर तू विश्राम रे।।
पल-पल बढ़ता.........
समय का महत्व न देने वाला, जीवन भर पछताता है।
जो करता उपयोग समय का,सुख बहुत वह पाता है।
जो इससे है हाथ हाथ मिलता, करता है उत्थान रे।
पल-पल बढ़ता..........
समय कल था,समय आज है, समय कल भी आएगा।
समय एक अनदेखा पंछी,पंख लगा उड़ जाएगा।
समय भूत है,समय भविष्य है, समय ही है वर्तमान रे।
पल-पल बढ़ता.........
सुजाता प्रिय 'समृद्धि'
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