छोटा मित्र
एक बाघ ने पकड़ा चूहा,
बोला तुझको मैं खाऊँगा।
चूहा बोला छोड़ दे मुझको,
कभी तुम्हारे काम आऊंगा।
आ दोस्ती कर ले हम-तुम,
दोनों मिलकर साथ रहेंगे।
एक दूजे के काम आएंँगें,
आपस में हम नहीं लड़ेगे।
हँसकर बोला बाघ नादान,
क्या भला तू काम आओगे।
छोटे लोग मित्र नहीं होते,
साथ नहीं मेरा दे पाओगे ।
एक मौका तो देकर देखो,
किया चूहे ने नम्र निवेदन।
बाघ ने उसको छोड़ दिया,
बडा़ दुखी कर अपना मन।
कुछ दिन ही बीते होगें
वहाँ एक शिकारी आया।
बाघ गुफे से बाहर बैठा था,
जाल फेंककर उसे फँसाया।
फँस-बधिक जाल में बाघ,
खूब रोया और चिल्लाया।
रुदन उसका सुनकर तब,
वह छोटा चूहा दौड़ा आया।
कुतर- कुतर वह जाल काटा,
बाघ को बंधन मुक्त किया।
छोटा होकर भी बाघ को,
मित्रता का सूबूत दिया।
तब बाघ को समझ आया,
मित्र छोटे भी हो सकते हैं।
बड़ा छोटा का भेद न करना,
सभी से मैत्री कर सकते हैं।
सुजाता प्रिय 'समृद्धि'
मित्र छोटे भी हो सकते हैं
ReplyDeleteधन्यवाद 🙏 🙏❤️❤️
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