ऊँ
द्वन्द्व
में हो
तुम शायद
अहंकार भरा
मन यह तुम्हारा
मुझे प्रगति -प्रयास
के पथ पर चलने
की आज्ञा ही
नहीं दे रहा
भय है
तुम्हें शायद
मेरा साथ छूटने का
या तुम्हारा वर्चस्व टूटने का
सुजाता प्रिय 'समृद्धि'
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