वर्षा में भींगलै चुनरिया (मगही भाषा)
अब झमर-झमर बरसे बदरिया।
हमर बरसा में भींगलै चुनरिया।
टप-टप,टप-टप बरसे रे पानी।
हर-हर हर-हर,हरसै रे पानी
हम घूमे ले अइलियै बजरिया।
बरसा में..................
झम-झम,झम-झम पनिया बरसे।
गड़-गड़,गड़-गड़ बदरिया गरजे।
हमरा सूझे ना तनी डगरिया।
बरसा में.................
सज-धज के हमें घूमे ले अइलियै।
थैला और बटुआ में हथबा लैलियै।
लेकिन लेबे ले भुलैलियै छतरिया।
बरसा में..................
चुनरी भी भींगलै,चोली भी भींगलै।
केश के लट संग चोटी भी भींगलै।
और संग में भींगलै अचरिया।
बरखा में.................
मुहमां के किरिम-पौडर धोबैलै।
ठोरबा के भी लिपिस्टिक धोबैलै।
हमर अखिया के धोबैलै कजरिया।
बरसा में.................
सुजाता प्रिय समृद्धि
No comments:
Post a Comment