अभी
तो तुम
छोटे बच्चे हो
काम नहीं
करना।
बड़े
होकर तुम
अपने जीवन के
अंधेरे को
हरना।
पढ़ने
लिखने की
है उम्र तुम्हारी
तुम बहुत
पढ़ना।
शिक्षा
पाकर तुम
भी अच्छी राहें
जीवन की
गढ़ना।
मासूम
बचपन की
जिद के आगे
मजदूरी मत
अपनाओ।
बेवस
मजबूर और
असहाय नहीं तुम
खुद को
पाओ।
अभी
सशक्त और
परिपक्व बहुत है
आगे तुमको
होना।
प्यारे
लेकिन आज
तुम्हारे हाथों में
चाहिए पुस्तक,
खिलौना।
सुजाता प्रिय 'समृद्धि'
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ReplyDeleteमुझे लग रहा कि एक वाक्य के टुकड़े कर दिए ।
ReplyDeleteभवपूर्ण सृजन।
सुंदर सृजन।
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