देव घनाक्षरी
पहन चुनरी चोली, राधा सखियों से बोली।
मत कर आज ठिठोली,खटक खटक खटके।
मधुवन में मुरारी, बजाते बाँसुरी प्यारी,
मेरी पायलिया भारी, झनक,झनक,झटके।
कर अम्मा से बहाना,माखन मिश्री ले जाना,
कान्हा को मुझे खिलाना,पकड़ पकड़ मटके।
चल तू मेरे संग में, आज मेरे उमंग में,
रंग मेरे ही रंग में,पहर पहर सटके।
सुजाता प्रिय समृद्धि
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