Tuesday, July 9, 2024

चपला बोली (चौपाई छंद)

चपला बोली (चौपाई छंद )

नभ  में चपला चमक रही है।
कड़-कड़,कड़-कड़ कड़क रही है।।

बादल को ललकार रही है।
बारम्बार पुकार रही है।।

कहती बादल अब तुम बरसो।
नहीं करो तुम कल औ परसों।।

अब न करो तुम आना-कानी।
चला नहीं अपनी मनमानी।।

घनघोर घटा को  बरसाओ।
तपती वसुधा को हर्षाओ।।

आ तुझको मैं राह दिखा दूँ।
कहाँ बरसना यह समझा दूँ।।

      सुजाता प्रिय 'समृद्धि'

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