Friday, July 26, 2024

मुहावरा आधारित (आस्तीन का साँप )


 
 विश्वासघात

सोच समझ कर करो मित्रता,
सोच समझ कर आस करो।
आस्तीन में साँप न पालो,
सोच समझ विश्वास करो।

सामने से भोले बनते जो,
पीठ-पीछे कुछ खेल रहे।
आगे में माया खूब दिखाते,
पीछे जाकर धकेल रहे ।

सांत्वना वे बहुत हैं देते,
चौड़ी करते वे छाती हैं।
रंग बदलते गिरगिट जैसे,
जब बारी कुछ आती है।
   
सुजाता प्रिय 'समृद्धि'

No comments:

Post a Comment