Friday, September 29, 2023

उम्मीद (मनहरण घनाक्षरी)



उम्मीद (मनहरण घनाक्षरी)

मिले नहीं सफलता, मिल कभी विफलता,
निराशा पास आये तो,मन से निकालिए।

दुखी परेशान मन,विचलित हो अगर,
उम्मीद रख टाल दें,मन को संभालिए।
 
उम्मीद से बड़ा नहीं, सहारा है कोई कहीं
मनोबल रखें सदा, उम्मीद मत टालिए।

उम्मीद का आसमान,झुके नहीं बात मान,
पूर्ण होगा मनोरथ, उम्मीद तो पालिए।

   सुजाता प्रिय 'समृद्धि'

No comments:

Post a Comment