Tuesday, September 14, 2021

बदमाश बहू। ( लघुकथा )


तुम्हें परिवार के लोगों के साथ इतना बुरा व्यवहार नहीं करना चाहिए रिदीमा ! एकांत देखकर रेशमी ने अपनी नवेली देवरानी को समझाते हुए कहा।

लेकिन उनलोग हमारे साथ कितना अच्छा व्यवहार करते हैं?रिदीमा ने जेठानी से प्रश्न किया।

लेकिन हम बहू हैं। हमें ऐसा व्यवहार नहीं करना चाहिए। उन्हें भी बुरा लगेगा और दूसरे लोग भी हमारी शिकायत करेंगे।
मुझे दूसरों की परवाह नहीं।उनका तो काम है बातें बढ़ाना।रही बात घर बालों की तो उन्हें एक बदमाश बहू की आवश्यकता है। अच्छे व्यवहार करने वाले को ये बहुत प्रताड़ित करते हैं।रिदीमा ने दृढ़ता से कहा।आप तो सभी से अच्छा व्यवहार करतीं हैं, सबसे मीठा बोलती हैं,सबका ख्याल रखती हैं।बदले में आपको क्या मिलता है। सिर्फ दुत्कार, फटकार, तिरस्कार । कोई भी आपसे अच्छा से नहीं बोलता।हर वक्त सभी आपको प्रताड़ित और अपमानित करते हैं।हर जगह आपकी शिकायत होती है।यह क्या है ? अच्छी बहू होने का पुरस्कार ?
अपने लिए किसी के मन में प्यार और सहानुभूति पाकर रेशमी का मन भर आया। छलछलाती आंखों से रिदीमा को निहारते हुए कहा-यदि तुम मेरे साथ किए गए दुर्व्यवहारों को दूर करना चाहती हो बस इतना करो कि उनके साथ दुर्व्यवहार करना छोड़ दो।मेरे साथ उनके द्वारा किए गए सारे दुर्व्यवहार और प्रताड़ना तुम्हारी सहिष्णुता और प्यार से धुमिल हो जाएगा।
हां बहू ! उन पर नजरें रख रही और छुपकर उनकी बात सुन रही सासु-मां ने प्रकट होते हुए कहा।
अब ना हम तुम लोग के साथ दुर्व्यवहार करेंगे।ना तुम हमारे साथ। तुम्हारे दुर्व्यवहारों से चार महीने में हमारी हालत खराब हो गई तो चार साल से हमारे दुर्व्यवहार झेल रही बड़ी बहू का दिल कितना बेचैन होता होगा ?
तुम मेरी बदमाश बहू नहीं हो,बल्कि अच्छी बहू हो जो हमारी आंखें खोल दी।
 रश्मि ने देखा दरवाजे के पास उसके साथ दुर्व्यवहार करने वाले देवर -ननद भी अपनी आंखों में पश्चाताप के आंसू लिए खड़े थे।
ससुरजी ने बढ़ते हुए कहा-हां बहू तुमने ठीक कहा। आज समाज को तुम्हारे जैसी बदमाश बहू की नितांत आवश्यकता है। तुमने अन्याय के खिलाफ आवाज उठाकर और उसका प्रतिकार कर एक सशक्त बहू का फर्ज निभाया है।
तुम्हारे मन में यह हौसला तो है कि ईंट का जवाब पत्थर से देकर दुर्व्यवहार करने वाले को समझाया। वरना बड़ी बहू तो सद्व्यवहार करते-करते थक गई।किसी को इसकी अच्छाइयां समझ नहीं आई।
रेशमी पहली बार अपने ऊपर ससुराल वालों द्वारा किए अन्याय के लिए ग्लानि देख रुआंसी हो उठी। उसने कृतज्ञता भरी दृष्टि से देखते हुए बढ़ कर रिदीमा को गले लगाते हुए कहा-अब तुम भी सबके साथ अच्छा व्यवहार करना रिदीमा।
               सुजाता प्रिय 'समृद्धि'

4 comments:

  1. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज बुधवार 15 सितम्बर 2021 शाम 3.00 बजे साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  2. सादर धन्यवाद दीदी जी!नमन

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  3. समाज का एक पहलू यह भी... बहुत बढ़िया कहा।
    सादर

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  4. जी सादर धन्यवाद सखी !

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