Friday, September 10, 2021

गणपति वंदन



गणपति तुम्हारे मंदिर में हम,भजन सुनाने आए हैं।
श्रद्धा की छोटी फुलवारी का,पुष्प चढ़ाने आए हैं।

मस्तक तेरे मुकुट विराजे,सिंदूर शोभे भाल में,
कानों में है कुण्डल तेरे, हार पहनाने आए हैं।

कांधे में है जनेऊ-माला,पीताम्बर है अंग में,
उसके ऊपर रेशम का हम,वस्त्र ओढ़ाने आए हैं।

एक दन्त गजवदन तुम्हारा,लम्बोदर पर सूढ़ है।
लड्डू-मोदक तुमको भाता,भोग लगाने आए हैं।

धूप-दीप,कर्पूर जलाकर,आरती तेरी गाएं हम,
भक्ति-भाव को मन में रख,शक्ति पाने आए हैं।

पार्वती ने तुझे बनाया , शंकर मार- जिलाया है,
तेरी उत्पत्ति- की कथा,दुनिया को सुनाने आए हैं।

तीन लोक कह मात-पिता की परिक्रमा तूने कर डाली।
प्रथम पुज्य तू देव तेरा हम,पूजन करने आए हैं।

बच्चों को बल-बुद्धि देते,भक्तजनों को यश-वरदान,
मन में ऐसी आशा लेकर,हम तुझे मनाने आए हैं।

निर्विघ्न हर काम हो मेरा,विघ्न विनाशक हे भगवान,
दे दो यह वरदान हमें ,यह विनती करने आए हैं।

महाकाय स्वरूप तुम्हारा, दुर्गुण दूर भगाते हो,
तेरे इस स्वरूप को भगवन,ध्यान लगाने आए हैं।

हाथों में कुल्हाड़ी लेकर,भव-बंधन को काट रहे।
हाथ उठा आशीष हो देते,उसको पाने आए हैं।
           सुजाता प्रिय 'समृद्धि'

7 comments:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (12-9-21) को "है अस्तित्व तुम्ही से मेरा"(चर्चा अंक 4185) पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है,आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी।
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    कामिनी सिन्हा


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  2. सादर आभार कामिनी जी!

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  3. बहुत सुंदर रचना

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  4. हाथों में कुल्हाड़ी लेकर,भव-बंधन को काट रहे।
    हाथ उठा आशीष हो देते,उसको पाने आए हैं। 🙏🙏

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  5. सुंदर भाव भीनी स्तुति।

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