Friday, December 4, 2020

लोकगीत (मगही भाषा में)



अगहन महीनमा में,अइलै सजनमा,
गवनमा लेके ना।घबराए मोर मनमा,
गवनमा लेके ना।................

छुटतै दलनमा औ छुटतै अंगनमा,
और छुटी जइतै ना, मोरा बाबा के भवनमा।
छुटी जैतै ना मोर....................

छुट जैतै गलियां,छुटतै फूल डलिया।
छुटी जैतै ना,बचपन के सहेलिया।
छुटी जैतै ना।....................

आरे-बारे कही के करैला जेवनमा,
देखाइ के चंदा ना, बहलाबे हला मनमा।
देखाइ के चंदा ना।..................

बेटिया जन्म बाबा बड़ी दुख भारी,
पराया धन ना,माने सारा भुवनमा।
पराया धन ना।..................

काहे लागी बेटिया के माने परायी,
बदल देहो ना,येहो जग के चलनमा।
बदल देहो ना।......................

         सुजाता प्रिय 'समृद्धि'
            स्वरचित, मौलिक
              

2 comments:

  1. दुअरा रो अइथे भैया, मईया अंगनमा।
    सुबकै थ भैया अ बाबू, निकसे परानवा।
    गवनवा लेके न....

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  2. जी हार्दिक आभार भाई।

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