Sunday, December 6, 2020

संयुक्त परिवार



दादाजी खटिया बुन रहे हैं , नीम पेड़ के नीचे।
दादी माँ सहयोग में,रस्सियों को पकड़कर खींचे।

मंझली बूआ बैठ चरखे से , सूत कात रही है।
पाँव पर रख  फूफाजी की चिट्ठी बाँच रही है।

बड़ी दीदी कुएँ से खींचकर,पानी भरती जाती।
छोटी दीदी घड़े उठाकर,आँगन में है पहुँचाती।

सँबरी गैया आकर घड़े से, पी रही है पानी।
पिताजी जा रहे हैं देने , बैलों को गुड़धानी।

कुत्ते को देखो भूख लगी है,झाँक रहा है खपड़ी।
बछड़ा लिए आस खड़ा है,मिलेगी रोटी की पपड़ी।

अम्मा ने आकर खबर सुनाई,भोजन है तैयार।
चलें साथ बैठकर खालें, हिल-मिल पूरा परिवार।

गाँव में यह परिवार हमारा, सदा रहते खुशहाल।
सब मिल सब काम करते किसी को नहीं मलाल।

                सुजाता प्रिय,राँची
                  स्वरचित,मौलिक

17 comments:

  1. वाहः
    सुन्दर चित्रण हमारी पीढ़ी जो जी..

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  2. दादाजी खटिया बुन रहे हैं , नीम पेड़ के नीचे।
    दादी माँ सहयोग में,रस्सियों को पकड़कर खींचे।

    मंझली बूआ बैठ चरखे से , सूत कात रही है।
    पाँव पर रख फूफाजी की चिट्ठी बाँच रही है।

    बड़ी दीदी कुएँ से खींचकर,पानी भरती जाती।
    छोटी दीदी घड़े उठाकर,आँगन में है पहुँचाती।

    सँबरी गैया आकर घड़े से, पी रही है पानी।
    पिताजी जा रहे हैं देने , बैलों को गुड़धानी।
    ..........

    अत्यंत दृश्यात्मक एवं हृदयस्पर्शी रचना।
    अफ़सोस कि आधुनिकता की अंधी दौड़ में आज ऐसे दृश्य कहीं खो गए हैं...
    संयुक्त परिवार बने रहें, यही दुआ है।

    भावुक कर दिया आपकी इस रचना ने 🙏

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    1. बहुत -बहुत धन्यवाद

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    1. हृदय तल से आभार सखी

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  4. बहुत सुंदर रचना

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  5. ऐसे दृश्य अब दुर्लभ है दी।
    बेहद सुंदर सजीव चित्रण।
    बेहतरीन सृजन दी।
    सादर।

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    1. हार्दिक आभार प्यारी श्वेता।

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  6. आदरणीया सुजाता प्रिये, नमस्ते👏! संयुक्त परिवार को आपसी सहयोग से कैसे चलाया जाता था, उसका सुंदर शब्द चित्र आपने प्रस्तुत किया है। हार्दिक साधुवाद!
    मैंने आपका ब्लॉग अपने रीडिंग लिस्ट में डाल दिया है। कृपया मेरे ब्लॉग "marmagyanet.blogspot.com" अवश्य विजिट करें और अपने बहुमूल्य विचारों से अवगत कराएं।
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    सादर!--ब्रजेन्द्रनाथ

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    1. जी बहुत बहुत आभार आपका। मैं जरूर समय निकालूंगी आपकी रचनाओं को पढ़ने और सुनने के लिए।सादर अभिनन्दन।

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  7. संयुक्त परिवार कैसे होता था उसका बहुत ही भावपूर्ण चित्रण किया है आपने। आभार।

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  8. सादर आभार एवं धन्यवाद

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