Sunday, December 13, 2020

गज़ल (देखकर मुस्कुराते गये)



        

देखकर  मुस्कुराते  गये।
मुझको दिल में बसाते गये।

तिरछी नजरों से देखकर,
मुझको थोड़ा लुभाते गये।

मुझको पाने की ले आरजू ,
दिल अपना लुटाते गये।

दिल की दीवानगी में मुझे,
अब तक भरमाते गये।

सुलगा प्यार की आग में,
तीर हमपर  चलाते गये।

चोट दिल पर पहले दिया,
फिर मरहम लगाते गये।

जख्म गहरा दिया है मुझे,
दे दवा फिर सुखाते गये।

संग-संग जीने की 'प्रिय',
कसमें भी हैं खाते गये।
       
 सुजाता प्रिय 'समृद्धि'
   स्वरचित, मौलिक

22 comments:

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    1. जी सादर ़़धन्यवाद।

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  2. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" मंगलवार 15 दिसम्बर 2020 को साझा की गयी है.............. पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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    1. जी दीदी जी नमस्कार। मेरी रचना को पांच लिंको के आनंद पर साझा करने के लिए सादर धन्यवाद।

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  3. सादर नमस्कार ,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (15-12-20) को "कुहरा पसरा आज चमन में" (चर्चा अंक 3916) पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है।
    --
    कामिनी सिन्हा

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    1. बहुत-धन्यवाद एवं आभार आदरणीय कामिनी जी मेरी रचना को चर्चा अंक में साझा करने के लिए।

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    1. सादर धन्यवाद एवं अभिवादन।

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  5. उम्दा प्रस्तुति ।

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  6. बहुत खूब ल‍िखा सुजाता जी, क‍ि...
    मुझको पाने की ले आरजू ,
    दिल अपना लुटाते गये।

    दिल की दीवानगी में मुझे,
    अब तक भरमाते गये।...वाह ...कभी तरन्नुम में भी र‍िकॉर्ड कर‍िए , अच्छा लगेगा

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  7. जी आभार आपका आदरणीय।

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  8. देखकर मुस्कुराते गये।
    मुझको दिल में बसाते गये।
    प्यारी सी रचना। ।।।।। बहुत-बहुत शुभकामनाएँ आदरणीया।

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    1. बहुत-बहुत धन्यवाद आपका

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