अपने मन में प्यार पालकर देखो।
एक नजर मुझपर डालकर दैखो।
माना, मैं कोई हूर की परी ना हूँ,
अपने रूप को खंगालकर देखो।
बहकावे में कतराओ ना मुझसे,
दिल में मुझको संभालकर देखो।
मैं बुरी लगती हूँ महफिल में तुझे,
दिल में मेरा अक्श डालकर देखो।
क्यूँ इतराते हो खुद पर मीत मेरे,
मन में जरा यह सवाल कर देखो।
तुझसे मेरी बस यही गुजारिश है,
मेरे साथ खुद को ढाल कर देखो।
नजरिया बदल ले जरा नजरों की ,
'प्रिय' तुम यह कमाल कर देखो।
सुजाता प्रिय'समृद्धि'
स्वरचित मौलिक
आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज सोमवार 21 दिसंबर 2020 को साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteबहुत-बहुत धन्यवाद प्यारी दिव्या। मेरी रचना को सांध्य मुखरित मौन में साझा करने के लिए। हार्दिक आभार।
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज सोमवार 20 सितम्बर 2021 शाम 3.00 बजे साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteनजरिया बदल ले जरा नजरों की ,
ReplyDelete'प्रिय' तुम यह कमाल कर देखो।
बहुत खूब! नज़र बदलती हैं तो नज़ारे बदल जाते हैं