पहनकर बैठी लाल चुनरिया
और लाल रंग की चोली।
पास मेरे तू आजा साजन,
नव दुल्हनियाँ बोली।
माँग सिंदूर,माथे पर बिंदी,
और होठों पर लाली।
कलाई की यह लाल चूड़ियाँ,
खनक रही मतवाली।
माँग में टीका नाक में नथिया,
और कानों में झुमके।
गले में हार हाथभरी अँगूठियाँ,
कंगने संग मारे ठुमके।
मेंहदी हाथ की ओट बालम,
देखना चाहूँ मैं तुझको।
झुकी-झुकी पलकें ना उठती,
प्रिय लाज आती मुझको।
सुजाता प्रिय'समृद्धि'
स्वरचित सर्वाधिकार सुरक्षित
नमस्ते,
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" में गुरुवार 20 अगस्त 2020 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
मेरी रचना को पाँच लिकों के आनंद में साझा करने के लिए हार्दिक धन्यबाद एवं आभार भाई!
ReplyDeleteसहज सुभग श्रृंगार।
ReplyDeleteबहुत-बहुत धन्यबाद भाई।नमन
Deleteसुन्दर
ReplyDeleteप्रसंशा एवं उत्साह बर्धन के लिए सादर धन्यबाद एवं आभार सर।नमन आपको।
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