Wednesday, August 12, 2020

माँ-बाप की हालत खस्ता

चाहे टूट जाए रीढ़ की हड्डी।
लाद चलूँ मैं नोटों की गड्डी।

मासिक फीस भी है भरना।
वार्षिक नामांकन करवाना।

दैनिक वेष है जरूरी लेना।
हाउस- ड्रेस मजबूरी लेना ।

जूते सफेद और काले लेने।
बेल्ट - टाई और मोजे लेने।

वाहन-शुल्क भी हमें देना है।
कार्यक्रम -शुल्क भी देना है।

किताबें भारी - भारी है लेनी।
कॉपियाँ बहुत सारी  है लेनी।

ड्राईंग की कॉपी भी लेनी है।
कलर पेंसिल कूची  लेनी है।

ढोना  है हमको भारी बस्ता।
माँ-बाप की है हालत खस्ता।

       सुजाता प्रिय'समृद्धि'

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