Sunday, August 2, 2020

दोस्ती का रिस्ता

हर  रिस्ते से प्यारा , है दोस्ती का रिस्ता।
सच्चा है वही साथी ,जो करता है मित्रता।

ना जन्म औ जाति हो,ना धर्म का हो बंधन।
जब दोस्त बने कोई , तो देखते केवल  मन।
वही इसको निभाता है,जो जाने इसकी महता ।
सच्चा वह...................

गिरने से पहले जो , थाम ले  हाथों को।
दुःख दर्द जो हर लेता,समझे जज्वातों को।
भटकने से पहले ही ,जो राह है दिखलाता।
सच्चा वह..........

सारे सुख - दुःख को जो , बाँट ले जीवन के।
व्याकुलता प्रसन्नता जो समझता अन्तर्मन के।
अपने सब  मित्रों का जो साथ है निभाता ।
सच्चा वह..............
         सुजाता प्रिय'समृद्धि'

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