Thursday, August 20, 2020

तीज की साड़ी ( लघु कथा )

हाथ में फलों की थैली लिए महेश अपने घर की ओर बढ़ता आ रहा था।साहब के बीमार बेटे को अस्पताल पहुँचाने जाना पड़ा।वे सभी खुद बहुत परेशान थे तो किस मुँह से उनसे पैसे माँगता।सोंचा था तीज की बात कह पगार पहले ले लेगा।जल्द आकर गौरी के लिए साड़ी और प्रसाद आदि का बंदोबस्त कर देगा।लेकिन आज तो और ज्यादा देर हो गई।पूजा का कोई भी सामान नहीं घर में । बेचारी कैसे करेगी पूजा? मुहल्ले की औरतें जब उसे साड़ी और गहने दिखा रही थी तो वह कितनी लालसा भरी नजरों से देख रही थी।तभी उसने उससे वायदा किया था कि तुम्हें भी तीज में सुंदर साड़ी और पायल ले दुंगा। लेकिन अब क्या समझाएगा उसे।जब से इस महल्ले में आया है थोड़ी परेशानी बढ़ गयी है।क्योंकि यहाँ के लोग पैसे वाले हैं और उन्हें नीचा दिखाने की कोशिश में लगे रहते हैं।वह तो गौरी संतोषी स्वभाव की है , लोगों की परवाह नहीं करती है।वरना उसके दोस्त की पत्नी ने तो अच्छी साड़ी नहीं खरीदे जाने पर तालाब में कूद कर अपनी जान दे दी।कितनी औरतें तो दिखाबा के लिए कपड़े गहने नहीं लाने पर घर में कोहराम मचा देती हैं।
     मन मसोसते हुए वह घर पहुँच गया तो उसकीे इंतजार में खड़ी गौरी को सुहाग के जोड़े में सजी-सँवरी देख दंग रह गया।इस जोड़े में गौरी सात वर्ष पहले की नवेली दुल्हन लग रही थी।
वह लज्जित स्वर में बोला- क्या करूँ पैसे का इंतजाम नहीं हो पाया साहब का बेटा बीमार हो गया पैसे माँगने में अच्छा नहीं लगा।
गौरी हँसती हुई बोलीे- कोई बात नहीं।तुम नाहक परेशान हो रहे हो।मैने शादी का पवित्र जोड़ा पहन लिया। यही साड़ी मेरे लिए तीज की सबसे अच्छी साड़ी है। थोड़े न पुरानी साड़ी पहनने पर भगवान मेरी पूजा नहीं स्वीकार करेंगे।तुम चिंता ना करो मेरे पास कुछ बचे हुए पैसे थे।उससे बतासे और घी धूप इत्यादि ले आई।बच्चे फूल वेलपत्र ले आये।बाजार दूर था इसलिए फल लाने नहीं गई।
लो मैं फल ले आया हूँ।महेश ने खीरे और सेब की थैली बढ़ाते हुए कहा।
गौरी ने खुश होते हुए कहा- इतनी परेशानी मैं भी तुम्हें मेरा ख्याल था।इसीलिए तो कहती हूँ। तुम्हीं मेरे शंकर हो।बच्चों को देखना मैं पूजा करने जाती हूँ।कहती हुई वह पूजा पाण्डाल की ओर बढ़ चली। साथ-साथ वह भी बाहर आया।पूजा कर रही औरतें ने जब उसे देखा तो पूछा क्यों री गौरी तीज के लिए नई साड़ी नहीं खरीदी।
नहीं मेरे यहाँ शादी की साड़ी ही तीज में पहनी जाती है।महेश समझ गया गौरी ने उसकी इज्जत रखने के लिए ऐसा कहा। पिछली तीज में तो नई साड़ी खरीदी ही थी।मन-ही मन बोला मेरी गौरी तू भी साक्षात गौरी हो।
             सुजाता प्रिय'समृद्धि'
      स्वरचित सर्वाधिकार सुरक्षित

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