Thursday, August 13, 2020

बादल की शोभा

घने बादल की शोभा अपार देखो।
सारे  नभ में है छाई  बहार  देखो।

धूमकेतु - से काले - काले बादल।
लगे तरुणी के आँखों का काजल।
कर लिया है  सोलह शृंगार देखो ।
सारे नभ  में है छाई  बहार देखो।

कभी  इधर -  उधर दौड़ लगाए।
हवा के झोंकों के संग उड़ जाए।
पवन रथ पर होकर सँबार देखो।
सारे नभ में है छाई  बहार देखो।

कभी गड़-गड़,गड़-गड़ गरजे।
कभी पानी की बुंदें बन बरसे।
छाई चारो दिशा में बहार देखो।
सारे नभ में है छाई बहार देखो।

कभी चंदा  की ओट ले  झाँके।
कभी झिलमिल तारों को ताके।
दिखता है सूरज के  पार देखो।
सारे नभ में है छाई बहार देखो।

       सुजाता प्रिय'समृद्धि'
  स्वरचित सर्वाधिकार सुरक्षित

6 comments:

  1. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" सोमवार 17 अगस्त 2020 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  2. दीदीजी को सादर नमन एवं धन्यबाद।

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  3. वाह!प्रिय सखी ,बहुत सुंदर !

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    1. बहुत-बहुत धन्यबाद एवं आभार सखी।

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  4. सादर धन्यबाद एवं आभार सर! नमन

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