Monday, October 28, 2019

श्री श्री चित्रगुप्त भगवान की आरती

जय चित्रगुप्त महाराज। स्वामि जय चित्रगुप्त महाराज।
अपने सेवक जन के, अपने कूल रतन के,
बिगड़ी बनाते काज ,जय चित्रगुप्त महाराज।
मस्तक कुमकुम चंदन फूलों की माला।
रेशम वस्त्र पहनाऊँ, रंगकर शुभ पीला।।जय चित्रगुप्त...
अक्षत,शम्मी, पुष्प से करें पूजन तेरी।
शंख ,मृदंग , बजाएँ ,डमरू शुभ भेरी।।जय चित्रगुप्त...
लड्डू भोग लगाएँ ,घृत- गुड़ मिश्रीत हम।
नए कलश में जल भर पूजा करते हम।।जय चित्रगुप्त...
धूप , दीप जलाएँ, बाती है  कर्पूर की।
हमसब करें आरती,व्याधी हरें मन की।।जय चित्रगुप्त...
हाथ ले लेखनी-कटनी,सबको लिपि देते।
अक्षर ग्यान देकर सबको सुघड़ करते।।जय चित्रगुप्त...
लेखन जिविका देकर,पालन करते आप।
सबके संकट हरते ,बाधा दुःख, संताप।।जय चित्रगुप्त...
दुष्ट सौदास उबारे,बैक्ण्ठ- धाम दिया।
भीष्म पितामह को स्वेच्छित मृत्यु दिया।।जयचित्रगुप्त..
जो जन यह गुण गाये, निश्चित फल पाये।
दुःख न कोई सताये, सुख सम्पत्ति पाये।।जयचित्रगुप्त...
हे चित्रगुप्त महाराज, तुम्हें बार-बार नमस्कार।
सबके  संकट हर ले, बेड़ा कर  दे पार।।जय चित्रगुप्त...
                            सुजाता प्रिय

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