Wednesday, October 16, 2019

धरती माँ के राजदुलारे

जीयो मेरे वीर धरती पर
हरियाली  फैलानेवाले।
साईंकिल यात्रा कर धरा पर
अनगिनत वृक्ष लगानेवाले।

मरुभूमि हो चली धरा पर
फैलाकर  तुम हरियाली।
धरती माँ  के राजदुलारे ,
वीर सपूत  इसके माली।

निर्मल मन के गंगाजल से
धरती सिंचित करने हेतु।
अमर प्रेरणा का प्रतीक
हरित क्रांति का विजय केतु।

वन-उवपन विहसा-हुलसा
पुलक उठा पवन पुनीत।
प्राणि-प्राणि में प्राण फूंक
चलाए तूने यह पावन रीत।

तेरा यह द्विचक्रिका वाहन
धूएँ का अवरोधक  है।
पेट्रोल डीजल नहीं है पीता
वायु प्रदूषण शोधक है ।

जिधर जहाँ बढ़ता जायेगा
गुंजेगा तुम सबका जयगान।
दिशा-दिशा दृष्टिगोचर होगा,
के तेरा यह विजय निशान।

तू बढ़े चलो तो जग भी तेरे
पीछे - पीछे बढ़ता जायेगा।
तेरा विजयी हरित पताका ,
जग भर  में  लहरायेगा।

तुम सब हो सच्चे कर्मयोगी,
तुमसब ही  हो  सच्चे  संत।
अमर रहेगी तेरी साधना ,
युग-युग तक और दिग् दिगंत।

तेरा गौरव सदा रहेगा,
तुमपर है सबको अभिमान।
बढ़ता जा तू , बढ़े निरंतर ,
हरित बसुंधरा का अभियान।
                   सुजाता प्रिय

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