Sunday, October 20, 2019

वार्तालाप बरसाती महीनों के

सावन बोला -मैं तो बरसा झम-झम -झम।
भादो बोला -मैं भी हूँ  कहाँ किसी से कम।
आश्विन बोला -मैने भी तो लहराया परचम।
कार्तिक बोला -मैं भी बरस रहा लगाकर दम।

सावन बोला- हम देर आये पर दुरुस्त आये।
भादो बोला- हम भी दुर्बल नहीं तंदुरुस्त आये।
अाश्विन बोला -हम भी सुस्त नहीं , चुस्त आये।
कार्तिक बोला- लो देखो हम भी एक मुस्त आये।

सावन बोला -मैने तो खेतों में खूब पानी डाला।
भादो बोला -बचे - खुचे को तो मैंने ही सम्हाला
आश्विन बोला -मैने तो लोगों का निकला दिवाला।
कार्तिक बोला- अब देख कैसा मुझसे पड़ा है पाला।
                                 सुजाता प्रिय

2 comments:

  1. बहुत सुन्दर सृजन सुजाता जी ।

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  2. सादर आभार सखी।बहुत -बहुत धन्यबाद।

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