Thursday, October 24, 2019

जय धनवंतरी ( भजन )

कार्तिक कृष्ण त्र्योदशी,
   अवतार लिए धनवंतरी।
      अंश हो  महाविष्णु  के,
         हे रोग  नाशक  श्रीहरि।

चतुर्भुज   पीताम्बरा,
    चंदन तिलक है माथ में।
       शंख ,चक्र औषधि- पत्र,
          अमृत-कलश है हाथ में।

समुंद्र  मंथन  के समय ,
   शम्भू किए विषपान जब।
      रक्षा  हेतु  उनको आपने ,
          अमृत किया प्रदान तब।

परिपूर्ण करते अन्न-जल,
   धन-धान्य देकर यह धरा।
      वरदान का तू दान देकर,
          चलाये  दान- परम्परा।

हर जीव के उर में विराजे,
     तेरा अलौकिक  रूप  है।
        नर-नारी संत-फकीर योगी,
             वैरागी रंक और  भूप  है।

हर प्राणि तेरा पुत्र सम,
    सबसे  तुझको प्यार है।
        जीवन दाता ,प्रथम वैद्य,
              तुम्हें नमन  बारम्बार है।
          .            सुजाता प्रिय

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