राखी और संदेश
धागों का त्योहार आया।
बहना के मन प्यार आया।
कच्चे धागे की राखी बना।
बेटों के हाथ में दिया थमा।
धरा मांँ बोली कहना मान।
चढ़ जा जाकर तू चंद्रयान।
चंदा मामा को दे आ संदेश।
अब दूर नहीं मामा का देश।
हमेशा मिलने हम आयेंगे।
तेरे घर भी झंडा फहरायेंगे।
सुजाता प्रिय 'समृद्धि'
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