दृश्य सुहावन
फूलों की क्यारी
हैं सुंदर-सुंदर
लगती प्यारी।
रगं-बिरंगी
हैं कलियांँ मुस्काई
मन को भाई।
तितली आई
औ फूल-फूल पर
हैं मड़राई।
भौंरे हैं गाते,
सुंदर तान वह
हमें सुनाते।
कोयल कूके
बुझ रहे मन में,
जीवन फूंके।
दाना चुगने
चिड़िया है चहकी
आई बहकी।
तोता औ मैना
आम पेड़ पर है
चहक कर।
पपीहा कूंजे
तीतर बटेर की
बोली गूंजे।
मोर झूमते
पर को फैला कर
नाच दिखाते।
है सुहावन
ये दृश्य बगिया की
मनभावन।
सुजाता प्रिय समृद्धि
स्वरचित, मौलिक