अनुराग (सवैया)
जो मन में अनुराग धरो तुम
चाहत जो तुमको वह पाओ।
जो मन चाह रहा उसको अब
पाकर संग खुशी अपनाओ।।
रे मन मौज करो न अभी तुम
जाकर आज यही समझाओ।
जाग अभी तुम ऐ मन मूरख
सोबत हो अब नींद भगाओ।।
जो मन ने तुमको समझा यह
बात वही सच है यह जानो।
उद्यम जो करते जुगती कर
सिद्ध करें सब कारज जानो।।
सोच मनोरथ पूर्ण करे वह
साधन तो उसने यह मानो।
ध्यान रहे जिसके मन में यह
ले अनुराग लगा यह मानो।।
सुजाता प्रिय 'समृद्धि'