Friday, November 27, 2020

गज़ल


अपने साथी का मुझको पता मिल गया।
ऐसा लगता है सारा जहां मिल गया।

हम बिछड़े थे एक - दूसरे से कभी,
आज इत्तफाक से वह यहां मिल गया।

जब हमसे हुआ वह यहां रुबरू,
लगा ऐसा कि हमसे सदा मिल गया।

मेरे दिल में दीया जल रहा प्यार का,
रोशनी के लिए इक मकां मिल गया।

वह रूठे न मुझसे, कभी उम्र - भर,
मनाने का  नया रास्ता मिल गया।

जुदा न रह पाएंगे हम उससे कभी, 
संग रहने का नया रास्ता मिल गया।

मैं मिली तो वह सोंचा कि धरती मिली,
'प्रिय' मुझको मिला आसमां मिल  गया।
                सुजाता प्रिय 'समृद्धि'
                    स्वरचित, मौलिक

Monday, November 23, 2020

भजन

मगही भाषा में लक्ष्मी माता के (भजन)

लक्ष्मी माय के आज मंदिलिया,
बड़ी लगै गुलजार हे।
सोना के मंदिलिया माय के,
रूपा के दुआर है।
लक्ष्मी माय के आज...........

मैया के अंग में लाल चुनरिया,
चोली चमकदार हे।
माथे माय के मुकुट विराजे,
कमलगट्टा के हार हे।
लक्ष्मी माय के आज..........

मैया बैठली सिंघासन चढ़ के,
करके सोलहो सिंगार हे।
भक्तन गाबे गीत-भजनियाँ,
करके जय - जयकार हे।
लक्ष्मी माय के आज...............

जे मैया के ध्यान लगाबे,
पाबे धन अपार हे।
जे मैया के शरण में आबे,
पाबे बड़ी दुलार हे।
लक्ष्मी माय के आज...............

       सुजाता प्रिय 'समृद्धि'
       स्वरचित  ( मौलिक )

Thursday, November 19, 2020

छठ गीत



सूप लिए वर्ती , जल में खड़ी है।
छठ-पूजन की,शुभ-शुभ घड़ी है।

जोड़ा नारियल औ पान-सुपारी।
किशमिश- छुहारा और गड़ी है।

पुआ-पकवान,चावल की लड्डू,
संतरा- सेव से डलिया भरी है।

उगते सूर्य को सब- जन पूजे,
डूबते-सूरज की महिमा बड़ी है।

आओ सब मिल अर्ध्य चढ़ाओ,
सविता से वर,लेने की घड़ी है।

           सुजाता प्रिय समृद्धि
                स्वरचित मौलिक

Tuesday, November 10, 2020

दिवाली

शब्द सीढ़ी


स्वच्छता
          पर्व
             माटी
                कुम्हार
                       दीप

स्वच्छता का अभियान चलाएं,
          साफ करें हम घर आंगन।
साफ करें हम प्यारी धरती,
             साफ करें हम अंतर्मन।

आया पावन पर्व दीवाली,
          खुशियां लेकर जीवन में।
दिल में प्यार के फुटे पटाखे,
         उमंग भरा है तन-मन में ।

मिल्लत की माटी को गुंथकर,
            बना  खिलौने प्रीत के।
भेद-भाव को बिसरा कर हम,
             जश्न मनाएं  जीत के।

व्यवहार-कुशल कुम्हार बने हम,
           कर्म पथ पर बढ़ते जाएं।
निर्मल मन की चाक घुमाकर,
             प्रेम- पात्र गढ़ते जाएं।

समता का हम दीप बनाकर,
            रोशनी घर-घर फैलाएं।
माया के तेल,ममता की बाती से,
          जग प्रकाशित कर जाएं।

          सुजाता प्रिय 'समृद्धि'
             स्वरचित, मौलिक

Tuesday, November 3, 2020

तेरी चुनरी मां

तेरी चुनरी मां !
कि आय हाय, 
तेरी चुनरी मां!

तेरी चुनरी लाल मैया,
तेरे अंग में शोभे।
तेरी चोली हरी मैया,
उसके संग में शोभे।
चमक उसमें शोभे रे,
शोभे रे,शोभे।
लगा गोटा,
कि आय हाय
लगा गोटा मां!

तेरे मांग में सिंदूर 
और टीका शोभे।
तेरे माथे में मैया,
तेरी बिंदिया शोभे।
नासिका में शोभे रे,
शोभे रे,शोभे
तेरी नथिया, 
कि आय हाय 
तेरी नथिया मां।

तेरे दोनों कानों में,
तेरा झुमका शोभे।
तेरे दोनों हाथों में,
तेरा कंगना शोभे।
तेरे गले शोभे रे,
शोभे रे,शोभे
तेरी माला, 
कि आय हाय,
तेरी माला मां।


तेरे दोनों पांवों में,
तेरा पायल शोभे।
तेरे पायल की घुंघरू,
छमक छम-छम बोले।
संग उसके बोले रे,
बोले रे, बोले।
तेरी बिछिया,
कि आय हाय, 
तेरी बिछिया मां।
       सुजाता प्रिय'समृद्धि'
          स्वरचित, मौलिक मां !
कि आय हाय, 
तेरी चुनरी मां!

तेरी चुनरी लाल मैया,
तेरे अंग में शोभे।
तेरी चोली हरी मैया,
उसके संग में शोभे।
चमक उसमें शोभे रे,
शोभे रे,शोभे।
लगा गोटा,
कि आय हाय
लगा गोटा मां!

तेरे मांग में सिंदूर 
और टीका शोभे।
तेरे माथे में मैया,
तेरी बिंदिया शोभे।
नासिका में शोभे रे,
शोभे रे,शोभे
तेरी नथिया, 
कि आय हाय 
तेरी नथिया मां।

तेरे दोनों कानों में,
तेरा झुमका शोभे।
तेरे दोनों हाथों में,
तेरा कंगना शोभे।
तेरे गले शोभे रे,
शोभे रे,शोभे
तेरी माला, 
कि आय हाय,
तेरी माला मां।


तेरे दोनों पांवों में,
तेरा पायल शोभे।
तेरे पायल की घुंघरू,
छमक छम-छम बोले।
संग उसके बोले रे,
बोले रे, बोले।
तेरी बिछिया,
कि आय हाय, 
तेरी बिछिया मां।
       सुजाता प्रिय'समृद्धि'
          स्वरचित, मौलिक