छठ गीत (मगही भाषा)
सूप लेके वरती नदिया खड़ी है।
भोर पहर के शुभ-शुभ घड़ी है।
उगहू सूरुज देवा अरगा के बेर।
आज उगे में तू काहे कइला देर।
बटिया भेटैलइ निरधन गे वरती।
ओकरा देबे लगलूं धन गे वरती।
बटिया भेटैलइ अंधरा गे वरती।
ओकरा देबेे लगलूं नैना गे वरती।
ओकरे में होलै उगते हमरा देर।
होई गैले आबे में अरगा के बेर।
मांगू -मांगू वरती जे फल मांगू।
देबै सबकुछ तोही आज मांगू।
तोरे दिहल सूरुज धन-संपतिया।
एक हमें मांगियो देवा संततिया।
मंगिया के सेनुर अचल रहे देवा।
जिनगी भर करब तोर सूरुज सेवा।
सुजाता प्रिय 'समृद्धि'