सरहुल के गीत गाबा
आबा सभे भाई आबा,सरहुल के गीत गाबा।
आबा सभे बहिन आबा,सरहुल के..........।
प्रकृति के परब आहे रे सरहुल।
वृक्ष के पूजल जाबे रे सरहुल।
सभे मिली नाचा-गबा,सरहुल के गीत गाबा
आंबा सभे बहिन आबा, सरहुल............।
चैत तृतिया दिन आहे रे पावन।
शाल-पलास लागे देखें में निमन।
कर जोर जोहार करें आबा,सरहुल के गीत गाबा।
आबा सभे भाई आबा,सरहुल के .......।
इने जंगल-झार के देखा शोभा।
नदी-तलाब अउर पानी के डोभा।
सबमें उमंग लाबा, सरहुल के गीत गाबा।
आंबा हमें बहिन आबा,सरहुल .......
सुजाता प्रिय 'समृद्धि'
स्वरचित