Saturday, June 29, 2024

गणेश वंदना (हरि गीतिका छंद)

गणेश वंदना (हरि गीतिका छंद)

हे गजानन, चढ़ मूषक वाहन, गृह आप मेरे पधारिए।
प्रारंभ किया जो काज मैंने,आप उसको संवारिए आशीष देकर संवारिए।।
आये यदि कोई विघ्न तो,प्रभु आप उसको टालिए।
बिगड़े जब कोई बात तो,प्रभु आप उसको संभालिए।।

आपके चरणों में प्राणि,जब झुकाता माथ है।
आशीष हेतु आपका उठता सदा ही हाथ है।
आप ही शुभ काज करते,आप दीनानाथ हैं।
जिनका न कोई साथ देता,आप उनके साथ है।

आपके पग को पकड़ हम,विनती करते आज हैं।
मुख से जो हम बोलते हैं,यह हृदय की आवाज है।।
आपके ही हाथ में अब, भगवन् हमारी लाज है।
आपसे न है हमारा,छुपा हुआ कोई राज है।
        सुजाता प्रिय 'समृद्धि'

Friday, June 28, 2024

अनुराग (सवैया)

अनुराग (सवैया)

जो मन में अनुराग धरो तुम, 
                 चाहत जो तुमको वह पाओ।
जो मन चाह रहा उसको अब, 
                 पाकर संग खुशी अपनाओ।।
रे मन मौज करो न अभी तुम, 
                 जाकर आज यही समझाओ।
जाग अभी तुम ऐ मन मूरख,
                 सोबत हो अब नींद भगाओ।।

जीवन का सब आस यहाँ पर,
                   पूरण हो तुम जोर लगा लो।
काम करो अपने मन माफिक,
               लेकिन आज नहीं यह टालो।।
के विधि से यह काज बना नहिं,
              आज जिया तुम आन बसा लो।
जो बिगड़े अब काज यहाँ पर,
               धैर्य धरो उसको सुलझा लो।।

जो मन ने तुमको समझा यह, 
                     बात वही सच है यह जानो।
उद्यम जो करते जुगती कर,
                   सिद्ध करें सब कारज जानो।।
सोच मनोरथ पूर्ण करे वह, 
                       साधन तो उसने यह मानो।
ध्यान रहे जिसके मन में यह, 
                       ले अनुराग लगा यह मानो।।
            सुजाता प्रिय 'समृद्धि'

Saturday, June 15, 2024

रहने दो न पापा ( लघुकथा)

रहने दो ना पापा (लघुकथा)

सुनिए जी मिनी की शादी मैंने उतरा दीदी के जेठ के बेटे से पक्की कर ली है । कामिनी ने उल्लसित स्वर में खुश होते हुए रघुवीर से कहा । उनलोग बहुत खुश हैं ।उन्होंने कहा है मुझे परिवार के रूप में आप सभी बहुत पसंद हैं । विषेश रूप से मिनी बिटिया.......
तुमने बगैर मुझसे पूछे यह रिश्ता क्यों तय कर लिया ? इतना आवश्यक तो नहीं था कि उस शराबी से मेरी बेटी का रिश्ता पक्का कर लिया। वह तो मेरी मासुम मिनी बिटिया से बिल्कुल अलग विचार का है ।क्या पता कैसा बुरा व्यवहार करेगा मेरी लाडली के साथ। रघुवीर ने सहमते हुए कहा।
कोई बात नहीं पापा! अपने कमरे से निकलते हुए मिनी ने कहा -शराबी है तो क्या हुआ मांँ की तरह मैं भी झेल लूंगी उसका गुस्सा-अत्याचार,अपमान-अवहेलना, दुत्कार-फटकार ।आपकी तरह नशे में द्यूत होकर गालियाँ देगा ,मारेगा, पिटेगा।पैसे-गहने छीन लेगा बस यही न।मेरा जीवन नर्क हो जाएगा तो तुम मुझे देखकर दुखी रहना।जैसे नाना -नानी माँ को देखकर.......
रघुवीर सकते की हालत में खड़ा रह गया। अपनी पत्नी की जगह बिटिया के दुखी जीवन की कल्पना मात्र से.......
              सुजाता प्रिय 'समृद्धि'

Wednesday, June 5, 2024

धरती कहे पुकार



धरती कहे पुकार 

  देख लो तुम
यह रेगिस्तान में,
   भरा है रेत।

     बन रहे हैं
देखो ऐसे ही अब
    हमारे खेत।

    दूर-सुदूर
दिख रहा है यहाँ
  एक ही पेड़।

    तुम मानव ,
ने बर्वाद है किया
   है हमें छेड़।

    अगर तुम 
एक-एक पेड़ भी
   यहाँ लागते।

   बसुंधरा के
आंचल में कुछेक 
  पेड़ सजाते।

  स्वच्छ रहता
पर्यावरण यहाँ
  हम हँसते।

   सूखता नहीं 
नल कूप,न पानी
   को तरसते 

सुजाता प्रिय समृद्धि

Saturday, June 1, 2024

अखबार बोलता है (घनाक्षरी)

अखबार बोलता है 

अखबार बोलता  है।
सभी राज खोलता है।
आदत बना के नित,
अखबार पढ़िए।

नौकरी, सेवा,व्यापार।
खेल-कूद, समाचार।
इसे पढ़ आप आगे,
ज्ञान तरु चढ़िए।

जानकारियां लाता है।
दिमाग को बढ़ाता है।
स्मरण को बढ़ाइए,
आप आगे बढ़िए। 

वर्तमान, अतीत को। 
आधार,हार-जीत को।
पढ़,नाप-जोख कर,
नव-पथ गढ़िए।

     सुजाता प्रिय 'समृद्धि'