धरती वाले भयभीत खड़े थे,
उल्का पिण्ड टकराने वाला है।
धरती से वह टकराकर अब,
उथल-पुथल मचाने वाला है।
उल्का तो गुजर गया दूर से,
पर धरती के दो तारे टूटे।
ध्रुवतारा- से जगमग करते,
फिल्मी दुनियाँ के सितारें टूटे
दुनियाँ के रंग मंच पर वे,
अंतिम अभिनय दिखा गए ।
कभी साथ अभिनय करते वे,
अंतिम साँस तक निभा गए।
सारी दुनियाँ को यह दुःख है,
शोक-संतप्त हैं भारत के लोग।
दोनों ने साथ अभिनय किया था,
था कैसा यह अंतिम संयोग।
सुजाता प्रिय 'समृद्धि'