बड़ा ही पावन लागे जी,
भोले बाबा की नगरी।
अति मन-भावन लागे जी,
भोले बाबा की नगरी।
शिवशंकर के सामने देखो,
पार्वती मंदिर है।
दोनों के मंदिर का देखो,
गठबंधन सुंदर है।
सदा यहां सावन लागे जी,
बोले बाबा.................
इस नगरी में एक जगह ही,
बड़े -बड़े मंदिर हैंं।
हर मंदिर में हर देवों की,
प्रतिमा लगी सुंदर हैं।
मन को रिझावन लागे जी,
भोले बाबा.................
त्रिशूल हर मंदिर में होता,
पर यहां देख पंचशूल है।
हर मंदिर नुकिला होता,
पर यहां प्रतिकूल है।
बात सुहावना लागे जी,
भोले बाबा..................
द्वादश ज्योतिर्लिंग में भाई,
एक यहां का लिंग है।
मनोरथ पूर्ण होता लोगों का,
मनोकामना ज्योतिर्लिंग है।
मन को लुभावन लागे जी,
भोले बाबा ..................
सुजाता प्रिय 'समृद्धि'
स्वरचित, मौलिक