जय मां शारदे 🙏🙏
भाषा- मगही (हास्य रस)
एक बार जीजाजी भाई के संग अइलथिन बीतते रात।
कहलथिन गरमा-गरम चाय पिलाबा मानके हम्मर बात।
दूसर दिन परीक्षा हलै कर रहलिऐ हल तैयारी।
सेहे से उनका चाय पिलाना लग रहलै हल लाचारी।
लेकिन आगंतुक के चाय ना पिलइयै एहो बात है भारी।
अइते के साथ चाय मांग हथिन मेहमान बिहारी।
जाके देखलिऐ चुल्हा पर पैहले से चाय चढ़ल हलै।
शायद मैया के कनमा में दामाद के बात पड़ल हलै।
नथुनमा हम्मर फुल रहलै हल हलिऐ गुस्सा से घायल।
काम आसान देख के हो गेलिऐ खुशी से पागल।
सोचलिऐ आज जीजाजी के चट्टक चाय पिलइऐ।
लौंग-इलाइची, अदरक देके ओकर स्वाद बढ़इऐ।
परीक्षा के चिंता से लेकिन हलिऐ बड़ी परेशान।
पता नै चललै चाय में हम कि-कि देलिऐ सामान।
चीनी के बदले निमक देलिऐ चायपत्ती के बदले हल्दी।
लौंग-इलाइची के बदले लहसुन-मिरची दे चाय बनैलिऐ जल्दी।
छान पियलबा में गरमागरम झट उनकर आगे रखलिऐ।
पीहो जीजाजी दुनु भाई,खुश होके कहलिऐ।
मन मारके दुनु भाई, मारे लगला मिल चुस्की।
छोटका भाई जीजा के देख मारे मन -मन मुस्की।
हंसके पुधलिऐ हे जीजाजी कैसन बनलै चाय।
जीजाजी हम्मर मुंह ताक के रहलथिन हल मुस्काय।
कहलथिन बड़ी अच्छा लगलै शाली के मजाक।
मुहमां में सिसकारी आबे,लहर रहलै है नाक।
ऐसन चाय पी खुश हो जैइतै हम्मर साढ़ू भाय।
भोरे-सांझे जरूर पिलैहो,बनाके ऐसन चाय।
सुजाता प्रिय 'समृद्धि'