उलटे पुलटे शब्द आधारित (दोहे)
*राम* नाम अनमोल है,जपो राम का नाम।
*मरा-मरा* भी बोलकर, डाकू पाया धाम।।
*राधा* रानी प्रेम से,जपती केशव नाम।
हृदय प्रेम *धारा* बहा,रटती प्रातः-शाम।।
काम करो ऐसा सुनो, दुनिया बोले *वाह*!
*हवा* ओर तेरी बहे, पूरी हो मन चाह।।
*दावा* मत कर नेह पर,रख मन में विश्वास।
*वादा* पूर्ण करो सभी,मत दो झूठी आस।।
*सदा* करे जो कर्म को,रख मन में विश्वास।
भला कर्म से भाग्य भी,हो जाता है *दास*।।
मीठी वाणी बोलकर,कर समाज पर *राज*।
*जरा* न तीखी बोलिए ,रूठे सकल समाज।।
अपने *दम* पर पाइए,जग भर में पहचान।
*मद* में चूर नहीं रहें, दूजे पर कर शान।।
*जग* झूठा है भाइयों,सुनो झुकाकर माथ।
*गज* भर भी धरती वहांँ,जाएगी ना साथ ।।
मदिरा पीने में कभी,दिखलाओ मत *शान*।
*नशा* नाश का मूल है,मत कर इसका पान।।
*मय* के प्याले में भरा, दुनिया का सब रोग।
*यम* रहता पीछे खड़ा, बात मानिए लोग।।
झूठ कभी *मत* बोलना,सच का देना साथ।
सच *तम* दूर करे सदा,मिले सफलता हाथ।।
सुजाता प्रिय 'समृद्धि'