Sunday, October 27, 2024

उलटे -पलटे शब्द आधारित (दोहे)

उलटे पुलटे शब्द आधारित (दोहे)

*राम* नाम अनमोल है,जपो राम का नाम।
*मरा-मरा* भी बोलकर, डाकू पाया धाम।।

*राधा* रानी प्रेम से,जपती केशव नाम।
हृदय प्रेम *धारा* बहा,रटती प्रातः-शाम।।

काम करो ऐसा सुनो, दुनिया बोले *वाह*!
*हवा* ओर तेरी बहे, पूरी हो मन चाह।।

*दावा* मत कर नेह पर,रख मन में विश्वास।
*वादा* पूर्ण करो सभी,मत दो झूठी आस।।

*सदा* करे जो कर्म को,रख मन में विश्वास।
भला कर्म से भाग्य भी,हो जाता है *दास*।।

मीठी वाणी बोलकर,कर समाज पर *राज*।
*जरा* न तीखी बोलिए ,रूठे सकल समाज।।

अपने *दम* पर पाइए,जग भर में पहचान।
*मद* में चूर नहीं रहें, दूजे पर कर शान।।

*जग* झूठा है भाइयों,सुनो झुकाकर माथ।
*गज* भर भी धरती वहांँ,जाएगी ना साथ ।।

मदिरा पीने में कभी,दिखलाओ मत *शान*।
*नशा* नाश का मूल है,मत कर इसका पान।।

*मय* के प्याले में भरा, दुनिया का सब रोग।
*यम* रहता पीछे खड़ा, बात मानिए लोग।।

झूठ कभी *मत* बोलना,सच का देना साथ।
सच *तम* दूर करे सदा,मिले सफलता हाथ।।

     सुजाता प्रिय 'समृद्धि'

Saturday, October 26, 2024

प्रथम पुज्य गणेश

प्रथम पूज्य गणेश (मिलो न तुम तो)

गणपति बप्पा दिखते भारी,मूषक है इनकी सवारी।
अजब हैरान हूँ मैं।
लम्बोदर पर सूढ़ है भारी,दूब है इनको प्यारी।
अजब हैरान हूँ मैं।
दिखते हैं भोले-भाले, मस्तक है इनका गजराज का।
कान हैं सूप जैसे,नाम है लम्बी महाराज का।
चार हाथ में रस्सी-फरसा,परसु और कुल्हाड़ी,
अजब हैरान हूँ मैं,
एक दिन देवों ने रखी प्रतियोगिता विचार के।
तीन लोक की परिक्रमा,पहले करेगा तीन बार जो ।
प्रथम पूज्य वह देवता होगा, बात बहुत है भारी,
अजब हैरान हूँ मैं।
सुनकर देव सभी सोच में पड़े गहरा मर्म था।
काम कठिन था पर,जोर लगाना अब धर्म था।
सब देवों ने दौड़ लगाई, चढ़कर अपनी सवारी।
अजब हैरान हूँ मैं।
मूषक चढ़ गणपति,रास्ता रोके गौरी-नाथ की।
बीच बैठाकर किये परिक्रमा तीन बार वे ।
अचरज से उन्हें देख रहा था, देवों का देवों का दल भारी,
अजब हैरान हूँ मैं।
देवों ने उनसे पूछा,यह कैसा खेले तुम खेल रे ।
तीन लोक घूमना था,यह तो नहीं कोई मेल रे।
करना था परिक्रमा तुझको,करने लगे नचारी,
अजब हैरान हूँ मैं।
देवों से बोले देवा,मैंने किया भला कर्म है। 
माता-पिता की सेवा,करना हमारा शुभ-धर्म है। 
माता- पिता ही तीन लोक है,सुन लो बात हमारी
अजब हैरान हूँ मैं।

      सुजाता प्रिय 'समृद्धि'

Wednesday, October 16, 2024

शरद-पूर्णिमा

शरद-पूर्णिमा 

शरद-पूर्णिमा का चाँद निकला,
    हैं  चमक  रहा देखो अम्बर।
        आज चाँदनी का रूप सुनहला,
            देखो  कितना  लगता सुंदर।

झीनी-झीनी कोमल किरणें,
    पुष्प-लताओं से झांँक रही।
        आज रात की दुधिया रंग को,
            अपलक है देखो ताक रही।

राधा के संग रास रचाते,
    मन मोहन कृष्ण मुरारी हैं।
        वंशी की धुन पर थिरक रहे ,
            आज विरज की नर-नारी हैं।

लक्ष्मी माता सुधा-कलश ले,
    अहा!आईं हम-सबके आँगन।
       मीठी खीर का भोग लगाओ,
           कर आरती-अर्चन मनभावन।

सब मिलकर जयकार करो,
   जगजननी  जय माता की।
        धन-संपत्ति जो सबको देती,
           सुख - समृद्धि की दाता की।

अहा सभी मिल नाचो-गाओ,
   झुम-झूम कर खुशी मनाओ।
        वैर - द्वेष मन से विसरा कर,
            सबको अपने गले लगाओ।
       
                  सुजाता प्रिय 'समृद्धि'

Wednesday, October 9, 2024

मन के रावण को फूको

मन के रावण को फूंको 

शहर के सबसे पुराने मैदान में,
   दस मीटर ऊँचा खड़ा दशानन।
      दस हजार जनों की भीड़ लगी है,
         रावण का पुतला आज होगा दहन।

राम वेश में ,खड़े मंत्री जी ने,
   बढ़ उसपर छोड़े अग्नि तीर।
      धूं - धूं - धुं कर जल उठा वह,
         खुश होकर उछली सारी भीड़।

साधु-संतों को खूब सताना,
   यज्ञ-विध्वंस कर शान दिखाना।
      मदिरा पीना, मांस को खाना,
         पर स्त्रियों को हरकर लाना।

उसकी  बुराइयाँ खाक हो जाए,
   हर साल पुतले हम जलाते हैं।
      पर इन सारी बुराइयों को हम,
         कभी मन से मार न पाते हैं।

कर सको तो,कर लो अपने,
   तुम मन के रावण का संहार।
      राम -सा पुरोषोत्तम बन जा,
         प्रफुल्लित होगा सारा संसार।

              सुजाता प्रिय 'समृद्धि'

Wednesday, October 2, 2024

प्रथम पुज्य गणेश

प्रथम पूज्य गणेश (मिलो न तुम तो)

गणपति बप्पा दिखते भारी,
करते मूषक सवारी।
अजब हैरान हूँ मैं।
लम्बोदर पर सूढ़ है भारी,दूब है इनको प्यारी।
अजब हैरान हूँ मैं।....
दिखते हैं भोले-भाले, मस्तक है इनका गजराज का ओ s s s s
कान हैं सूप जैसे,नाम है लम्बी महाराज का ओ s s s s
चार हाथ में रस्सी फरसा,परसु और कुल्हाड़ी,
अजब .....
एक दिन देवों ने रखी प्रतियोगिता विचार के ओ s s s s
तीन लोक की परिक्रमा पहले करेगा तीन बार जो ओ s s s s
प्रथम पूज्य वह देवता होकर
गा, बात बहुत है भारी 
अजब हैरान.........
सुनकर देव सभी सोच में पड़े गहरा मर्म था।ओ s s s s
काम कठिन था यह पर,जोर लगाना अब धर्म था ओ s s s s
सब देवों ने दौड़ लगाई, चढ़कर अपनी सवारी अजब हैरान......
दौड़कर गणपति रास्ता रोके गौरी-भोलेनाथ की ओ s s s s
अचरज से उन्हें देख रहा था, देवों का देवों का दल भारी अजब हैरान.........
देवों से बोले देवा,

माता पिता ही तीन लोक है,सुन लो बात हमारी
अजब हैरान हूँ मैं......

      सुजाता प्रिय 'समृद्धि'

Tuesday, October 1, 2024

बापू के सपने

बापू के सपने 

बापू ने देखे थे सपने,भारत को आजाद कराने के।
एकता और भाईचारे का, एक सुंदर देश बसाने के।

शांत- समृद्ध भारत बनने के,सपने हम साकार करें।
कपट नहीं करुणा हो मन में, क्रोध त्याग कर प्यार करें।

जाति-धर्म का भेद मिटायें,गले लगायें हरिजन को।
छल-कपट को दूर भगाएं, स्वच्छ करें अपने मन को।

सुशिक्षित व सामर्थ्य रहेंगी ,यहाँ की सारी नारियांँ।
उनके हृदय में सदा ही फूटे,आत्मरक्षा की चिनगारियांँ।

यहाँ का हर मानव, अपने देश पे मिटने वाला हो।
यहाँ का बच्चा-बच्चा भारत माता का रखवाला हो।

हर बाधा को पार करें,लेकर हम हिम्मत से काम।
कठिन राह पर बढ़े चलें,जीत लें हम सारे संग्राम।

बढ़े चलें हम कठिन राह पर,मन में लेकर दृढ़ विश्वास।
स्वच्छता का अभियान चलाएं,पूरी हो बापू की आस।

मन से लालच दूर करें हम, करते जाएं दान सदा।
श्रेष्ठ जनों के हेतु हृदय में,रखें हम सम्मान सदा।

आओ प्रण लें बापू के हम,स्वप्न नहीं टूटने देंगे।
तीन रंग का झंडा वाला,ध्वज नहीं  झुकने देंगे।
              सुजाता प्रिय 'समृद्धि'