देखो दिन बीता जाए रे,
दिन बीता जाए।
देखो तम घिरता जाए रे,
तम घिरता जाए।
दिनभर चलकर सूरज लौटा,
फैल रहा है अंधेरा।
खग कलरव कर उड़ते जाते,
खोज रहे हैं बसेरा।
तुम भी अपने घर वापस आ,
मधु रजनी का बेरा।
मन का दीप जलाओ,
सुख से रैन बिताओ।
जीवन को रंगीन बनाओ,
जो मन भाए रे,
दिन बीता जाए।
बस्ती बस्ती घूम घूम कर,
देख ले दुनिया सारी।
दुनिया की है चाल निराली,
कुछ तीखी कुछ प्यारी।
दोनों को जब ग्रहण करो तो,
हो जाएगी न्यारी।
दिल में सफाई लाओ,
जीवन में सच्चाई लाओ,
मन में अच्छाई लाओ,
इससे जग जीता जाए रे,
जगजीत आ जाए।
सुजाता प्रिय समृद्धि