सरस्वती वंदना (विधाता छंद )
शुभ घड़ी आज है माता,करें हम ध्यान औ पूजन।
करूँ विनती हृदय से माँ,सुनो संगीत में गुंजन।
पधारो हंस पर चढ़ कर,तुझे हम सब बुलाते हैं।
लगा कर भाल में टीका, स्फटिक माला चढ़ाते हैं।
बजा दो प्यार की वीणा,यहाँ झंकार तुम कर दो।
सुनो हे स्वेत वसना माँ, हमें तू ज्ञान से भर दो।।
सभी को प्यार तुम से है,शरण तेरे सभी जाते।
चरण तेरे पकड़ कर माँ,सभी जन ज्ञान हैं पाते।
करो सबको सुघड़ माता,रहे ज्ञानी सभी जग में।
रहे कोई अज्ञानी तो,नवाता सिर यहाँ पग में।।
बड़ी ही प्यार से माता, लुटाती भक्त पर ममता।
नहीं करती किसी से छल,सदा मन में भरी समता।
लगाती हो गले सबको,सभी को गोद बैठाती।
सभी अंधेर हर लेती, सुघड़ सबको बना जाती।
विनय तुझसे करूँ अम्बे,सुनो हे शारदे माता।
मिटा दो मूढ़ता जग से,जगत में ज्ञान की दाता।
सुजाता प्रिय 'समृद्धि'