आज साल का पहला दिन है। समृद्धि ने नींद से जागते हुए कहा-नया साल सबको मुबारक हो।नये साल में कुछ नया करने का संकल्प लेना चाहिए। इससे जीवन में नयापन आता है और हम दृढ़ता से कुछ करने की ओर अग्रसर होते हैं।
मां की आवाज सुन शुभ बिस्तर पर उठकर बैठता हुआ बोला-आज से मैं जल्दी उठकर अपना गृहकार्य कर लूंगा।
खुशी दौड़ती हुई आई और बोली-वह तो ठीक है पर उससे पहले भगवान को और सभी बड़ों को प्रणाम करना है।खुशी के साथ शुभ और उसकी दीदी प्रिया ने सभी को चरण स्पर्श कर आशिर्वाद लिये।
मां को रसोई में जाते देख प्रिया ने कहा-आज से हमें मां को काम करने में हाथ भी बंटाना है और दादा-दादी की देखभाल भी करना है।
पिताजी दरवाजे पर खड़े होकर मुस्कुरा रहे थे। सभी बच्चे उनके बताए रास्ते पर अग्रसर थे।नये साल के लिए उन्होंने भी यह संकल्प लिया था कि अपने बच्चों को सुसंस्कारित बनाएंगे। नहीं तो वह इन छोटी छोटी बातों के लिए पत्नी को ही दौड़ाते रहते थे। विचारी काम कर करके थक जाती है और अक्सर बीमार हो जाती है। बच्चों और उनके सहयोग से उसका कुछ काम हल्का हो जाएगा।
तभी दादी मां कुछ पुराने कपड़े और बचे हुए खाने लेकर बाहर निकलीं।
सभी लोग आश्चर्य से उन्हें देख रहे थे कि दादाजी बोले- मैंने ही कहा है उन्हें कि बेकार पड़े कपड़े और बचे हुए भोजन को जरूरतमंदों को बांट दिया करो। सभी लोग खुश हो गये।नये साल में परिवार के सभी लोग कुछ -न-कुछ नया संकल्प लिए।
सुजाता प्रिय 'समृद्धि'
स्वरचित, मौलिक