पंचम देवी स्कंदमाता
सृष्टि की रचनाकर आओ हे स्कंदमाता।
नमन बारम्बार तुम्हें कार्तिकेय की माता।
तुम ही हो माँ बल-बुद्धि- विद्या स्मृति।
तेरे ही आशीष से माता,हम पाते हैं कीर्ति।
तुमसे समस्त सृष्टि में माँ आती है गति।
तेरी कृपा से ही पाते हैं हम मूढ़ सुमति।
तुम ही श्रद्धा तुम ही हो माता परम दयालु।
अपने भक्तों पर माता रहती तुम कृपालु।
तुम ही क्षमा तुम हो क्षुधा- तृष्णा- सज्जा।
तुम ही श्रद्धा -सुधा,रखती जन की लज्जा।
तुम ही में संसार समाया ,तुम ही से है शक्ति।
तुम्हारी पूजा सब जन करते मन में रख भक्ति।
तेरे मुखड़े पर शोभित है मातृत्व की कांति।
उद्वेलित मन में तुम लाती हो माता शांति।
संसार की रानी तुम ही,हे जय जगदंबा माता।
तेरा आलोक सभी जनों को है राह दिखाता।
सुजाता प्रिय 'समृद्धि'
जय माँ अम्बे,जय जगदम्बे,🙏🙏