गौरी माँ के नंदना को बार-बार वंदना।
बार-बार वंदना,हजार बार-बार वंदना।
गौरी माँ के नंदना................
माथे मुकुट शोभे,गले में मोती माला।
अंग पीताम्बर है कांधे पर दुशाला।
हाथ गौरी सुत के, शोभ रहा कंगना।
गौरी माँ के नंदना.............
एक दाँत,चार हाथ, वदन बड़ा भारी।
सूप-कान, सूढ- नाक, मूष है सवारी।
छोटी-छोटी आखियां ,लगा है अंजना।
गौरी माँ के नंदना...............
लड्डू- मोदक खाते हैं, दूब लगे प्यारी।
भक्त- जन के देवा, हरते हैं लाचारी।
लिलार पर देखो, चमक रहा चंदना।
गौरी माँ के नंदना.............
देवों के देव हैं, घट - घट के वासी।
बालकों के हर लेते, सारी उदासी।
करते- ही स्मरण,झट आते हैं अंगना।
गौरी माँ के नंदना..............