चलता चल,चलता चल।
ओ राही तू चलता चल।
सोंच-सोंच और समझकर,
संभल-संभल कर चलता चल।
कई मुश्किलें, कई अटकलें ,
जीवन में आते हैं।
लेकिन जीवन की बाधाओं से,
वीर न घबराते हैं।
खम से ठेल विघ्न और बाधा,
हर मुश्किल से लड़ता चल।
चलता चल................
राह नहीं है छोटा भाई,
बहुत दूर चलना है।
चल-चल कर ही इस राह की
दूरी कम करना है।
तय करने मंजिल की दूरी,
कदम-कदम तू बढ़ता चल।
चलता चल.................
आँधी और हिमपात से लड़कर,
जलधारा में थमकर।
तूफानों में अडिग खड़ा हो,
बौछारों को सहकर।
चट्टानों को रौंद कदम से,
पर्वत-पर्वत चढ़ता चल।
चलता चल..........
सुजाता प्रिय 'समृद्धि'
स्वरचित,सर्वाधिकार सुरक्षित