Friday, July 3, 2020

सरहद के इस पार

सरहद के इस पार।
भूले-से भी कदम बढ़ाये,
खाओगे बड़ी मार।
सरहद के.......
हम सरहद के रखवाले हैं,
हम से पंगा मत लेना।
मुफ्त में जान गवाओगे तुम,
हम से दंगा मत लेना।
बचने की कोशिश तुम्हारी,
होगी सब बेकार।
भूले से भी..............
इस पर कदम बढ़ाने वाले,
तेरा सिर कुचल देंगे।
इधर कभी तुम आओगे तो,
चीटी-सा मसल देंगे।
लड़ना है तो जल्दी आ जा,
दिखा दें तेरी हार।
भूले से भी..........
यह सरहद भारत का भू है,
इस पर  नजर न तुम डालो।
इस पर अधिपत्य तुम्हारा होगा,
ऐसे मनसुबे मत पालो।
भारत माँ की रक्षा करने,
हैं हम खड़े तैयार।
भूले से भी...........
   सुजाता प्रिय'समृद्धि'
स्वरचित सर्वाधिकार सुरक्षित

10 comments:

  1. जी नमस्ते ,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार(०८-०७-२०२०) को 'शब्द-सृजन-२८ 'सरहद /सीमा' (चर्चा अंक-३७५३) पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है
    --
    अनीता सैनी

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  2. सादर धन्यबाद सखी अनीता जी मेरी इस प्रविष्टि की चर्चा शब्द सृजन में करने के लिए।हार्दिक आभार।

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  3. सुन्दर प्रस्तुति

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    1. बहुत-बहुत धन्यबाद

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  4. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" सोमवार 06 जुलाई 2020 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  5. बहुत-बहुत धन्यबाद दीदीजी।आभार

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  6. इस पर कदम बढ़ाने वाले,
    तेरा सिर कुचल देंगे।
    इधर कभी तुम आओगे तो,
    चीटी-सा मसल देंगे।
    सही कहा अपने देश के सरहद पर आँख उठाने वालों को हमारे जांबाज हमेशा कुचलते आये हैं
    बहुत ही लाजवाब समसामयिक सृजन
    वाह!!!!

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  7. बहुत-बहुत धन्यबाद सखी।आभार आपका।

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  8. यह सरहद भारत का भू है,
    इस पर नजर न तुम डालो।
    इस पर अधिपत्य तुम्हारा होगा,
    ऐसे मनसुबे मत पालो।
    वाह!ओज और चेतावनी बहुत सुंदर सृजन।

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  9. बहुत-बहुत धन्यबाद सखी।

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