Friday, July 17, 2020

पृथ्वी बनी पटरानी

पृथ्वी बनी पटरानी,
बनी सारे जगत की ऱानी।
लगती बड़ी ही सुहानी,
बनी सारे जगत की रानी।

हरी मखमल की चोली पहनी।
चुनरी का रंग हुआ धानी,
बनी सारे जगत की रानी।
पृथ्वी बनी---------------

पेड़-पौधों से अंग सजा है।
लताओं की हार बड़ी शानी,
बनी सारे जगत की रानी।
पृथ्वी बनी---------------

ताल-तलैया लबा-लब भरा है।
नदियों में भर गया पानी,
बनी सारे जगत की रानी।
पृथ्वी बनी------------------

मोर,पपीहा वन में नाचे।
चिड़ियाँ बोले मीठी वाणी,
बनी सारे जगत की रानी।
पृथ्वी बनी---------------
सुजाता प्रिय'समृद्धि'

11 comments:

  1. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" सोमवार 20 जुलाई 2020 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  2. सादर नमस्कार दीदीजी।मेरी रचना को पाँच लिकों के आनंद में साझा करने के लिए हार्दिक आभार।

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  3. वर्षा ऋतू का खूब खाका खींचा है सखी | सच में हरीतिमा युक्त धरा किसी महारानी पटरानी से कम थोड़े ना है ? सस्नेह

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  4. बहुत-बहुत धन्यबाद सखी।हार्दिक आभार।

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  5. हरी मखमल की चोली पहनी।
    चुनरी का रंग हुआ धानी,
    बनी सारे जगत की रानी।
    पृथ्वी बनी पटरानी,
    मनभावन रचना सखी,सादर नमन

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    1. बहुत-बहुत धन्यबाद सखी कामिनी जी।सादर नमन

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  6. सुंदर श्रृंगार किया है आपने धरा का मोहक सृजन।

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  7. सादर धन्यबाद सखी।

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  8. बहुत ही मनभावन लाजवाब गीत रचा है आपने पृथ्वी पर...
    वाह!!!

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  9. आभार आपका सखी सुधा जी! सादर नमन

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