Monday, November 4, 2019

जीवन के स्वप्न

स्वप्न
सुनहरे
जीवन के,
हो जाएँ साकार।
मानव को मानव
जन से,रहे सदा ही प्यार ।
ऊँच-
नीच का
भेद हमारा,
जड़ से ही मिट जाये।
छल-कपट -सा दुर्गुण ,
जग में,कभी न आने पाये।
सच्चाई
का स्वर्ण पताका ,
जग -भर में लहराए ।
झूठ , फरेब, मक्कारी,
जल के बुलबुले -सा ढह जाए।
शान-घमंड
विद्वेष-भावना,
कभी न आए पास।
सब पर सबको मोह
रहे, सबपर सबको विश्वास।
पर
हितकारी
कार्य में, तनिक
न हमको संशय हो।
सुख पहुँचाऊँ, सदा,
सभी को ,मन में दृढ़ निश्चय हो ।
              सुजाता प्रिय

8 comments:

  1. सुंदर संदेश देती भावपूर्ण रचना ,सादर नमन सुजाता जी

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  2. बहुत-बहुत धन्यबाद सखी! सादर नमन

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  3. जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना बुधवार ६ नवंबर २०१९ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।

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  4. मेरी रचना को पाँच लिकों के आनंद पर साझा करने के लिए हार्दिक धन्यबाद स्वेता।

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  5. सुंदर अभिव्यक्ति

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