स्वप्न
सुनहरे
जीवन के,
हो जाएँ साकार।
मानव को मानव
जन से,रहे सदा ही प्यार ।
ऊँच-
नीच का
भेद हमारा,
जड़ से ही मिट जाये।
छल-कपट -सा दुर्गुण ,
जग में,कभी न आने पाये।
सच्चाई
का स्वर्ण पताका ,
जग -भर में लहराए ।
झूठ , फरेब, मक्कारी,
जल के बुलबुले -सा ढह जाए।
शान-घमंड
विद्वेष-भावना,
कभी न आए पास।
सब पर सबको मोह
रहे, सबपर सबको विश्वास।
पर
हितकारी
कार्य में, तनिक
न हमको संशय हो।
सुख पहुँचाऊँ, सदा,
सभी को ,मन में दृढ़ निश्चय हो ।
सुजाता प्रिय
सुंदर संदेश देती भावपूर्ण रचना ,सादर नमन सुजाता जी
ReplyDeleteबहुत-बहुत धन्यबाद सखी! सादर नमन
ReplyDeleteजी नमस्ते,
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना बुधवार ६ नवंबर २०१९ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।
मेरी रचना को पाँच लिकों के आनंद पर साझा करने के लिए हार्दिक धन्यबाद स्वेता।
ReplyDeleteसुन्दर रचना
ReplyDeleteसादर धन्यबाद
ReplyDeleteसुंदर अभिव्यक्ति
ReplyDeleteधन्यबाद सखी।
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