सात घोडें के स्वर्ण रथ पर।
आए सूर्यदेव सवार होकर।
कार्तिक मास की षष्ठी है।
कतार में खड़े वर्ती-कष्टी हैं
सूप में भरकर फल-पकवान।
दे रहे अर्ध्य लगाकर ध्यान।
सिर नवाकर कर रहे विनय।
हृदय तल से थोड़ा अनुनय।
हे सूर्यदेव है नमन आपको।
दूर करें जग के संताप को।
अंधा देखे और बहरा सूने।
लंगड़ा दौड़े अरध्य चढ़ाने।
गूंगा में गाए तेरा कीर्तन।
लूला ताली दे मन भावन।
कोढ़ी को दो कंचन काया।
धरा के हर जीवों पर मा़या।
धन अपार दे हर निर्धन को।
सुनी गोद भर हर बांझन को।
हर नारी को दो अमर सुहाग।
हर पुरुष के मन में अनुराग।
हर बालक को विद्या का वर दे।
हर बाला को सम्मान से भर दे।ञ
सुजाता प्रिय व
Friday, November 1, 2019
सूर्यदेव से विनती
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बहुत सुंदर भाव।
ReplyDeleteजी सादर धन्यबाद एवं आभार
ReplyDeleteबहुत सुंदर भावभीनी प्रार्थना ,सादर नमस्कार सुजाता जी
ReplyDeleteहृदय तल से धन्यबाद सखी।सादर नमस्कार।
ReplyDeleteबहुत सुंदर प्रस्तुति
ReplyDeleteबहुत-बहुत धन्यबाद सखी।
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