नये -नये गुब्बारे लेकर
आए नेहरू चाचा।
मैं नाची और गुड्डी नाची,
चुन्नु भैया नाचा।
नाच रहे गुब्बारे सारे,
रंगों की रंगोली।
कुछ गुब्बारे लुक-छिप
नभ में खेले आँख-मिचौनी।
गुब्बारे की शान निराली,
झूमे और इठलाये।
एक साथ सब थिरक रहे हैं
अपनी तोंद फुलाये।
वश में उनके कर रखी है
नाजुक पतली डोरी ।
भाग न जाए नीलगगन में
उड़कर चुपके-चोरी।
हरे-लाल और नीले-पीले,
है कोई चम्पइया।
जो मन भाए, जी बहलाये
सो तुम ले लो भैया ।
सुजाता प्रिय
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