Friday, November 15, 2019

तेरे आने की आहट (गजल)

हवा के झोंके में होती जो सरसराहट है।
यूं लगता है तेरे आने की यह आहट है।

चाँद को देख चाहत का मन लुभाता है,
ऐसा लगता है तेरे प्यार की मुस्कुराहट है ।

गुल खिलते हैं जब कभी भी गुलिस्ता में,
लगता है तेरी खुशी की खिलखिलाहट है।

भौंरे छेड़ते हैं  तान कभी बागों में मधुर,
कानों में गूंजे तेरी गीतों की गुनगुनाहट है।

जाड़े की नर्म धूप में तपन मिलती थोड़ी,
एहसासों में लगता तेरे साँसों की गरमाहट है।

जब पेड़ों पर विहग चहककर कलरव करते,
क्यूँ लगता है तेरी बातों की फुसफुसाहट है।

नजरें ढूंढती ब्याकुल हो हर तरफ तुझको,
तू कहीं पास हो या मेरे मन की आकुलाहट है।
                                सुजाता प्रिय

9 comments:

  1. सुप्रभात ।मेरी रचना को पाँच लिकों के आनंद में साझा करने के लिए सादर धन्यबाद एवं हार्दिक आभार।

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  2. बहुत सुंदर अभिव्यक्ति

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    1. बहुत-बहुत धन्यबाद सखी।

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  3. गहराई से निकली मन को गहरे तक छूती

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    1. जी सादर धन्यबाद भाई।

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  4. जी सादर धन्यबाद भाई!

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  5. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज सोमवार 20 सितम्बर 2021 शाम 3.00 बजे साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  6. नजरें ढूंढती ब्याकुल हो हर तरफ तुझको,
    तू कहीं पास हो या मेरे मन की आकुलाहट है।

    सच प्यार में हर तरफ अपना प्यार ही नज़र आता है
    बहुत सुन्दर प्यार भरी गजल

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