अपराजिता
Tuesday, August 19, 2025
मधुमास मनोहर
आया सखी मधुमास मनोहर
फूलों से सज गया बाग-फुलवारी,
पेड़ सजा है पलाश-गुलमोहर ।
कोयल गाती पंचम सुर में,
भँवरे छेड़े तान मनोहर ।
नहीं सुहाता बिस्तर रजाई,
अंग नहीं दुशाला और दोहर।
गाते सभी मिल फाग के गाने।
ऐसे लगे सब गा रहे सोहर।
सुजाता प्रिय 'समृद्धि'
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